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ट्रांस केथेटर एओर्टिक वाल्व रिप्लेसमेंट (टीएवीआर) या ट्रांस केथेटर महाधमनी वाल्व प्रतिस्थापन

ह्रदय और उसके वाल्व को समझना

एक ह्रदय जो हर दिन करीब 100,000 बार धड़कता है,शरीर को आक्सीजन से भरपूर रक्त की आपूर्ति भी करता है। ह्रदय एक मांसपेशियों से बना अंग है जिसके चार चेम्बर होते हैं। रक्त का संचार इन्हीं चार चेम्बर्स द्वारा चार वाल्व की मदद से होता है, इन वाल्व को एओर्टिक वाल्व या महाधमनी वाल्व, पल्मोनिक वाल्व, मिटरल वाल्व और ट्राइकपसिड वाल्व के नाम से जाना जाता है। एक औसत जीवन काल में ये वाल्व करीब दो अरब बार खुलते और बंद होते हैं। ह्रदय के ये वाल्व तब खुलते हैं जब ह्रदय बहने के लिए रक्त को संचारित करता है या पंप करता है। वे दो धडकनों के बीच तेजी से बंद हो जाते हैं यह सुनिश्चित करते हुए कि खून का प्रवाह पीछे की तरफ नहीं होगा। इस सामान्य प्रवाह में किसी भी किस्म की अड़चन से ह्रदय जहां रक्त को जाने की जरूरत है वहां उसे पहुंचाने में कठिनाई महसूस करने लगता है। जब रक्त ह्रदय से बाहर निकलकर पूरे शरीर में प्रवाहित होने वाला होता है तब एओर्टिक वाल्व इसका नियंत्रण करता है।

वाल्व संबंधी विकृतियां

कभी-कभी कठिन परिश्रम करने वाले ये वाल्व समस्याओं में घिर जाते हैं जिसकी वजह से रक्त के प्रवाह में परेशानियां आती हैं और पूरा स्वास्थ्य बुरी तरह से प्रभावित हो जाता है। स्टेनोसिस जिसे विषेषरूप से एओर्टिक स्टेनोसिस (ए एस) के नाम से जाना जाता है,एक ऐसी बीमारी है जिसमें एओर्टिक वाल्व के खुलने का मार्ग संकरा हो जाता है। यह उम्र के कारण हो सकता है, अनुवांशिक प्रवृत्तियों के कारण हो सकता है, आमवाती बुखार के कारण हो सकता है, रेडियेशन के कारण हो सकता है या कैल्शियम ,कोलेस्ट्राल के पत्रकों का निर्माण हो जाने के कारण ऐसा हो सकता है। इसके परिणाम स्वरूप वाल्व पर बने ये कड़े पत्रक आसानी से गतिशील नहीं होते ना ही पूरा खुलते हैं। इसकी वजह से एओर्टिक वाल्व के द्वारा रक्त को धक्का देकर आपके शरीर में पहुंचाने के लिए पंम्पिंग करने की क्षमता कम हो जाती है। इसे बिना इलाज के छोड़ देने पर गंभीर एओर्टिक स्टेनोसिस की वजह से यह हार्ट फेल का कारण बन जाता है यहां तक कि एकाएक मृत्यु भी हो जाती है। प्रत्यावहन तब होता है जब वाल्व क्षतिग्रस्त हो जाते हैं या खराब हो जाते हैं और रक्त का रिसाव पीछे की ओर होने लगता है। यह रक्त के संचार करने का ह्रदय का काम बहुत मुश्किल बना देता है और अगर इसे बिना इलाज के छोड़ दिया जाए तो इसके परिणामस्वरूप हार्ट फेल भी हो सकता है।

एओर्टिक स्टेनोसिस के लक्षण

  • सांस की तकलीफ बढ़ना
  • चक्कर आना या बेहोशी
  • सीने में दर्द
  • थका-मांदा महसूस करना
  • पैरों में सूजन

गंभीर एओर्टिक स्टेनोसिस का इलाज

हालांकि ह्रदय की कई दूसरी स्थितियों के इलाज के लिए दवाइयां उपलब्ध हैं पर दुर्भाग्यवश एओर्टिक स्टेनोसिस के लिए कोई दवा चिकित्सा उपलब्ध नहीं है। गंभीर एओर्टिक स्टेनोसिस के लिए आपके डॉक्टर बहुत थोड़े समय के लिए कुछ दवाएं प्रस्तावित कर सकते हैं ताकि आप कुछ बेहतर महसूस कर सकें लेकिन अंततः आपको वाल्व प्रतिस्थापन की जरूरत होगी।

सर्जिकल एओर्टिक वाल्व रिप्लेसमेंट (एसएवीआर)

  • सर्जिकल एओर्टिक वाल्व प्रतिस्थापन कई सालों से एओर्टिक स्टेनोसिस के इलाज का पारंपरिक तरीका है।
  • यह प्रक्रिया एक खुली सर्जरी या एक छोटा सा चीरा लगाकर की जा सकती है जिसे बहुत सावधानी से और आहिस्ता से किया जाता है
  • सर्जरी के दौरान मरीज का सांस लेना और रक्त संचरण एक मशीन को स्थानांतरित कर दिया जाता है।
  • एक बार क्षतिग्रस्त भाग तक पहुंच जाने के बाद सर्जन रोगग्रस्त वाल्व को हटा देगा उसके स्थान पर एक कृत्रिम या बायोलॉजिकल वाल्व या दोनों के संयोजन वाला वाल्व प्रतिस्थापित करेगा।
  • आपको हॉस्पिटल में एक सप्ताह से ज्यादा समय के लिए रुकना पड़ सकता है।

ट्रांसकेथेटर एओर्टिक वाल्व रिप्लेसमेंट(टीएवीआर)

ट्रांसकेथेटर एओर्टिक वाल्व रिप्लेसमेंट (टीएवीआर) क्या है?

ट्रांसकेथेटर एओर्टिक वाल्व रिप्लेसमेंट (टीएवीआर) संकरे एओर्टिक वाल्व को प्रतिस्थापित करने के लिए अपनाई जाने वाली न्यूनतम रफ्तार से फैलने वाली प्रक्रिया है, वाल्व संकरा हो जाने के कारण यह ठीक तरह से खुल नहीं पाता (एओर्टिक वाल्व स्टेनोसिस) । ट्रांसकेथेटर एओर्टिक वाल्व रिप्लेसमेंट को ही कभी-कभी ट्रांसकेथेटर एओर्टिक इंप्लांटेशन (टीएवीआई) भी कहा जाता है।

ट्रांसकेथेटर एओर्टिक वाल्व रिप्लेसमेंट एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें वाल्व का प्रतिस्थापन उसी तरह किया जाता है जैसे कार्डिक स्टेंट लगाया जाता है। इस प्रक्रिया में हार्ट या चेस्ट केविटी (वक्ष गुहा) को खोलने की जरूरत नहीं होती। ये क्रांतिकारी वाल्व धातु जाल और जानवरों के ऊतकों के संयोजन से निर्मित होते हैं। इन्हें एक पतले तार की सहायता से ले जाकर जो वाल्व अभी है उसी पर फैलाकर रख दिया जाता है और ये वाल्व तुरंत ही काम करना शुरू कर देते हैं। बेहद जोखिम भरा होने के कारण आमतौर पर पुराने रोगियों में पारंपरिक वाल्व प्रतिस्थापन सर्जरी नहीं की जा सकती है। टीएवीआर धीमी गति से फैलती एक ऐसी प्रक्रिया है जो संकरे एओर्टिक वाल्व में बिना किसी बड़ी सर्जरी के सुधार कर देती है।

टीएवीआर एओर्टिक वाल्व स्टेनोसिस के संकेत और लक्षणों में आराम देता है और जटिलताओं के कारण, जोखिम भरा होने से जिन लोगों की सर्जरी नहीं की जा सकती उनके जीवन की संभावना को बढ़ा देता है।

टीएवीआर की सिफारिश कब की जाती है?

यदि आपको गंभीर एओर्टिक स्टेनोसिस के इलाज के लिए सर्जिकल एओर्टिक वाल्व रिप्लेसमेंट से मध्यम या उच्च स्तर का खतरा है तो टीएवीआर आपके लिए एक विकल्प है। टीएवीआर इस बात का संकेत भी दे सकता है कि आप वह व्यक्ति नहीं हैं जिसकी ओपन हार्ट सर्जरी की जा सके। यदि आपके पास एक मौजूदा जैविक वाल्व है जो पहले एओर्टिक वाल्व को बदलने के लिए डाला गया था लेकिन अब अच्छी तरह से काम नहीं कर रहा है तो टीएवीआर आपके लिए एक संभावना हो सकती है।

ऑपरेशन के पहले क्या जांच होंगी?

यदि आपके डॉक्टर महसूस करते हैं कि आपको एओर्टिक स्टेनोसिस हो सकता है तो वे अपने इस विचार को पक्का करने के लिए ईकोकार्डियोग्राफी कराते हैं और ऑपरेशन में कितना जोखिम हो सकता है इसकी जांच यूरो स्कोर II से कराते हैं। टीएवीआर के बाद इस पर फैसला लिया जाता है, रक्त वाहिकाओं की शारीरिक व्यवाहर्यता का आकलन करने के लिए एक 320 स्लाइस सीटी कॉरोनरी एंजियोग्राम और जंघा स्थान की वाहिकाओं का एक ओर्टओग्राम किया जाता है।

टीएवीआर के लिए तैयारी करना

टीएवीआर प्रक्रिया के लिए आपको कुछ निश्चित निर्देश दिए जा सकते हैं। आपका इलाज करने वाली टीम आपसे इस विषय पर विचार –विमर्श करेगी कि आपको इस प्रक्रिया के लिए कैसे तैयार होना है और इस प्रक्रिया के दौरान क्या उम्मीद है। अपनी इलाज करने वाली टीम से आप इस प्रक्रिया के बारे में कोई भी सवाल कर सकते हैं। आपको शरीर के जिस स्थान पर प्रक्रिया होगी वहां के बाल मुड़वाने पड़ सकते हैं। आपको योजनबद्ध प्रक्रिया के एक दिन पहले हॉस्पिटल आने की आवश्यकता होगी और यह प्रक्रिया बेहोश करके की जाएगी। अपने डॉक्टर से इस बारे में बात करें –

  • प्रक्रिया के पहले आपको कब खाना-पीना बंद कर देना चाहिये
  • आप जो भी दवाएं हॉस्पिटल में लाए हैं और आपको प्रक्रिया के दिन दवाएं कब लेना चाहिये
  • आपको दवाओं से कोई एलर्जी रही हो या कोई रिएक्शन रहा हो तो

आप क्या अपेक्षा कर सकते हैं?

ट्रांसकेथेटर एओर्टिक वाल्व रिल्पेसमेंट (टीएवीआर) का संबंध आपके क्षतिग्रस्त एओर्टिक वाल्व के स्थान पर गाय या सुअर के हृदय के ऊतकों से बने एओर्टिक वाल्व को लगाने से है जिसे बायोलॉजिकल टिश्यू वाल्व भी कहा जाता है। कुछ मामलों में एक टीएवीआर बायोलॉजिकल टिश्यू वाल्व पहले ही स्थापित ऐसे बायोलॉजिकल टिश्यू वाल्व में भी रखा जा सकता है जो लंबे समय से ठीक तरह से काम नहीं करने के कारण जिसका प्रतिस्थापन किया जा रहा है।

प्रक्रिया के दौरान क्या होता है?

आपका इलाज करने वाली टीम आपके हृदय के काम करने और उसकी लय पर निगाह रखती है और हृदय क्रिया में आ रहे बदलावों को देखती है।

एक कैथेटर उरू धमनी (कमर में) तैनात होता है और दिल के चैम्बर्स से निर्देशित होता है। एक दबाकर रखे गए टिश्यू हार्ट वाल्व को बैलून कैथेटर पर रखा जाता है और सीधे रोगग्रस्त एओर्टिक वाल्व के भीतर स्थापित कर दिया जाता है। जब आपके डॉक्टर इस बात से आश्वस्त हो जाते हैं कि वाल्व सुरक्षापूर्वक अपनी जगह पर रख दिया गया है तब वे आपकी रक्त वाहिकाओं से केथेटर को हटा लेते हैं।

इंटरवेंशनल कार्डियोलोजिस्ट्स, इमेजिंग स्पेशलिस्ट्स, हार्ट सर्जन्स और कार्डिक एनेस्थीसियोलोजिस्ट की टीम मिलकर काम करती है और फ्लूरोस्कोपी और ईकोकार्डियोग्राफी का उपयोग कर वाल्व को निर्देशित कर मरीज के रोगग्रस्त हार्ट वाल्व के स्थान पर ले जाती है ।

प्रक्रिया के बाद

आमतौर पर आप दूसरे ही दिन से चल सकते हैं और पांच दिन में अपने घर जा सकते हैं।

यह सुनिश्चित करें कि आपके हृदयरोग विशेषज्ञ ने जो कुछ निर्देश दिए हैं डिस्चार्ज होने के बाद आप उनका पालन कर रहे हैं। आपको डॉक्टर्स को दिखाने के लिए वापस कब-कब हॉस्पिटल आना है इस बारे में भी आपको डिस्चार्ज के समय बता दिया जाएगा। 

हार्ट फेलियर पर निगरानी

आपको इस बात की आवश्यकता है कि आप लगातार हार्ट फेलियर के लक्षणों पर नजर रखें। हार्ट फेलियर एक ऐसी स्थिति है जब हृदय की पेशियां कमजोर पड़ जाती हैं और सामान्य से कड़ी हो जाती हैं। यह धीरे-धीरे एक समयावधि में तब होता है जब आपको एओर्टिक स्टेनोसिस होता है। अगर आपको महसूस होता है कि आपमें यहां दिए गए लक्षणों में से कोई भी है तो तुरंत अपने डॉक्टर को कॉल करें या 1066 पर कॉल करें :

  • सांस की तकलीफ बढ़ना
  • खांसी या जमाव
  • पैरों में सूजन
  • वजन बढ़ना (2 से 3 पौंड या उससे अधिक वजन हर दिन बढ़ना या पांच या अधिक पौंड हर सप्ताह बढ़ना)
  • सीने में दर्द
  • चक्कर आना
  • घबराहट
  • बहुत थका हुआ महसूस करना या ऊर्जा की कमी महसूस करना
  • सोने में परेशानी और बेचैनी
  • भूख न लगना या मितली आना

शरीर के जिस स्थान पर प्रक्रिया हुई उसकी देखभाल

  • शरीर के जिस स्थान पर यह प्रक्रिया हुई है उसे हर दिन सावधानीपूर्वक जांचें और उसके पहले ध्यान से अपने हाथ जरूर धो लें।
  • उस स्थान पर 24 घंटे से ज्यादा समय तक पट्टी ना बंधी रहने दें
  • जब एक बार आप हॉस्पिटल से डिस्चार्ज हो जाते हैं उसके बाद आप घर पर साधारण साबुन और पानी से घाव वाले स्थान को आहिस्ता से साफ कर सकते हैं लेकिन नहाइये मत, ना ही गीले हो और ना ही प्रक्रिया के बाद दो सप्ताह तक तैरिये।
  • उस जगह को साफ और सूखा रखिये, वहां पर कोई भी लोशन, पाउडर या मल्हम मत लगाइये।
  • यदि जिस स्थान पर चीरा लगा था वह जगह जंघा और पेट के बीच की है तो उस जगह पर थोड़ी बहुत चोट लग सकती है या तकलीफ हो सकती है लेकिन यह सामान्य बात है, ऐसा हो सकता है। सर्जरी के बाद वह स्थान छूने में बहुत नाजुक हो जाता है। यदि डॉक्टर्स ने वाल्व रखने के लिए जांघ और पेट के बीच के स्थान का चयन किया है तो उस जगह पर आप गांठ भी महसूस कर सकते हैं। यह चार से छह सप्ताह में अपने आप ही खत्म हो जाएगी, कुछ मामलों में ज्यादा समय भी लग सकता है।
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