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गुर्दा प्रत्यारोपण (किडनी ट्रांसप्लांट)

गुर्दा प्रत्यारोपण (किडनी ट्रांसप्लांट)

किडनी या गुर्दा रक्त से अतिरिक्त द्रव एवं बेकार के पदार्थों को हटाने का काम करते हैं। जब वे अपनी छानने की क्षमता खो देते हैं तब शरीर में द्रव एवं बेकार के पदार्थों की भारी मात्रा इकट्ठी हो जाती है जिनकी वजह से किडनी काम करना बंद कर देती है।

एक गुर्दा प्रत्यारोपण (किडनी ट्रांसप्लांट) की जरूरत कब पडती है और यह कैसे होता है?

किडनी सामान्य रूप से जितना काम करती है जब उसका सिर्फ एक अंश बराबर ही काम करने लगे तो इसे किडनी की बीमारी का स्टेज ए कहा जाता है। इस स्तर पर जब किडनी पूरी तरह से काम करना बंद कर दे तो या तो मरीज को खून में जमा अपद्रव्यों को बाहर निकालने के लिए नियमित रूप से डायलिसिस कराना पड़ता है या फिर किडनी ट्रांसप्लांट कराना पड़ता है। किडनी ट्रांसप्लांट में एक जीवित या मृत व्यक्ति की किडनी लेकर उस व्यक्ति में लगाई जाती है जिसकी किडनी ने ठीक तरह से काम करना बंद कर दिया है।

किडनी की बीमारी के अंतिम चरण के कारण

  • डायबिटीज
  • जटिल, अनियंत्रित हाई ब्लड प्रेशर
  • जटिल वृक्कशोथ, गुर्दे के भीतर छोटे फिल्टर कणों में सूजन
  • बहुगंठीय किडनी की बीमारी

किडनी ट्रांसप्लांट टीम

किडनी प्रत्यारोपण उपयुक्त है या नहीं यह निर्धारित करने के लिए विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों की आवश्यकता होती है इस टीम में शामिल हो सकते हैं :

  • मूत्ररोग विशेषज्ञ
  • प्रत्यारोपण सर्जन
  • प्रत्यारोपण समन्वयक
  • व्यक्तिगत जानकारियों के बारे में बातचीत करने के लिए सामाजिक कार्यकर्ता
  • मनोवैज्ञानिक
  • निश्चेतना विशेषज्ञ

किडनी प्रत्यारोपण सर्जरी

टीएचओ कानून के मुताबिक एक व्यक्ति जो मरीज का पहला रिश्तेदार है या जिसने सरकार द्वारा मान्य प्राधिकार समिति से अनुमति ले ली है वह अपनी किडनी दान कर सकता है। किडनी दान करने वाला व्यक्ति किडनी दान करने के बाद एक सामान्य और आरामदायक जिंदगी जी सकता है अपने खान-पान या जीवन जीने के ढंग में कोई बदलाव किए बिना। आमतौर पर किडनी दान करने वाले की किडनी हटाने के लिए लेप्रोस्कोपी का उपयोग किया जाता है। लेप्रोस्कोपी का फायदा यह है कि इसमें दर्द कम होता है, हॉस्पिटल में कम समय तक रुकना होता है, ज्यादा तेज़ी से सामान्य गतिविधियों की तरफ वापस लौटना और बहुत ही छोटा और जिस पर ध्यान भी ना जाए ऐसा जरा सा दाग। वे लोग जिनके पास किडनी दान करने वाले लोग नहीं है उन्हें मृतकों से मिलने वाली किडनी प्राप्त करने के लिए प्रतीक्षा सूची में अपनी बारी आने की प्रतीक्षा करनी होती है। प्रत्यारोपण के समय नई किडनी पेट के निचले हिस्से में लगाई जाती है। नई किडनी की रक्तवाहिकाएं पेट के निचले भाग में पाई जाने वाली रक्त वाहिकाओं से जोड़ दी जाती हैं। नई किडनी की मूत्रवाहिका को मूत्राशय से जोड़ दिया जाता है। एक किडनी ट्रांसप्लांट सर्जरी सामान्य रूप से तीन से चार घंटे में हो जाती है। शरीर को नई किडनी को अस्वीकार करने से रोकने के लिए प्रतिरक्षा प्रणाली को दबाने वाली दवाओं को आजीवन लिया जाना चाहिए।

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