“हम जानते हैं कि 80% लोगों को जीवन में कभी न कभी कमर में दर्द हो सकता है । अक्सर यह दर्द थोड़े समय के लिए होता है और कुछ दिनों में अपने आप ही ठीक हो जाता है लेकिन कई बार यह गंभीर रूप धारण कर सकता है ।”
विशेषकर , कमर का दर्द , वृद्ध व्यक्तियों में काफ़ी बड़ी मुसीबत बन सकता है । बिस्तर से बाहर निकलना , शौचालय तक जाना और दिनचर्या के छोटे मोटे काम करना भी दूभर हो सकता है ।
इसलिए यह समझना ज़रूरी है कि वृद्धावस्था में कमर का दर्द क्यों होता है , यदि हो जायें तो इसके कारण का निदान अथवा डायग्नोसिस कैसे किया जाये , कि ये किसी गंभीर बीमारी के कारण तो नहीं है , दर्द का इलाज कैसे किया जाए और सबसे बड़ी बात कि इस दर्द से कैसे बचा जाए ।
तो ये सबसे पहले यह समझते हैं रीढ़ की हड्डी की बनावट क्या है
रीढ़ की हड्डी की बनावट
रीढ़ की हड्डी एक प्रकार से एक मनके के ऊपर एक मनका है जो एक दूसरे से बड़े ही परिष्कृत एवं महीन तरीक़े से जुड़े रहते हैं। दो मनके यानी की वरटिबरा के बीच डिस्क होती है । यही वजह है कि हमारी रीढ़ की हड्डी के द्वारा हम चारों तरफ़ झुक एवं घूम सकते हैं हालाँकि रीड की हड्डी में एक बहुत ही महत्वपूर्ण नाज़ुक सपाइनल कॉर्ड अथवा सुषुम्ना नाड़ी सुरक्षित रहती है
हमारे गर्दन में सात, कमर में बारह और निचले हिस्से में पाँच वरटिबरा होते हैं जिसको मिलकर रीढ़ की हड्डी बनती है यदि माइक्रोस्कोप में देखें तो रीड की हड्डी प्रोटीन के रेशे से बनी होती है और इसके ऊपर कैल्शियम जमा होता है। कैल्शियम जमा करने के लिए विटामिन D अत्यंत आवश्यक है
रीड की हड्डी से कई नस्सें निकलती है जो शरीर के विभिन्न भागों में जाती है इसी प्रकार रीड की हड्डी के आस पास अनगिनत मांसपेशियां भी होती है रीड की हड्डी के सामने की ओर हमारे शरीर के कई अंग रहते हैं जैसे पैनक्रियाज , खून की धमनियां । गुर्दे, स्त्रियों में युटेरस भी काफ़ी आस पास ही होते हैं
कमर दर्द का कारण
रीड की हड्डी में कमज़ोरी या बीमारी , डिस्क में कोई त्रुटि , नसों पर दबाव , मांसपेशी में कोई ख़राबी या रीढ़ की हड्डी के आस पास के अंगों में कोई त्रुटि कमर में दर्द का सबब बन सकते हैं इसलिए कई बार कमर के दर्द का कारण जानने के लिए रोगी की बात को ध्यान से सुनना एवं कई अन्य प्रकार की जाँच करने की आवश्यकता पड़ सकती है
कम गंभीर “ग्रीन फलेग “ दर्द
थोड़ा बहुत काम करने के बाद , ज़्यादा देर एक जगह पर बैठ जाने के बाद , या कुछ सामान इत्यादि उठाने के बाद कमर में दर्द हो सकती है लेकिन थोड़ा आराम करने से दर्द में राहत आ जाती है कभी कभी सुबह उठ उठने के बाद शरीर में अकड़न और दर्द होती है लेकिन थोड़ा चलने के बाद दर्द में राहत आ जाती है इस तरह की दर्द से नींद में कोई ख़लल नहीं पड़ता और न ही दर्द टांगों या बाज़ू में जाती है
गम्भीर “रेड फ्लैग “ दर्द
इस प्रकार की दर्द लगातार बनी रहती है , नींद में भी ख़लल पड़ सकता है , दर्द की दवाई के बिना अक्सर राहत नहीं मिलती ।
इसके साथ बुखार इत्यादि भी हो सकता है । दर्द कमर या गर्दन से बाजू अथवा टांगों में जा सकती है ।
सूना पन हो सकता है ।
हाथ और पैरों में कमज़ोरी भी आ सकती है
यदि इस प्रकार के दर्द हो रही हो तो फ़ौरन अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। वह जाँच करके ये पता करेंगे की रीढ़ की हड्डी में कोई इन्फेक्शन या कैंसर जैसी बिमारी तो नहीं या अपनी जगह से हटी हुई डिस्क किसी ने नर्स को तो नहीं दबा रही।
दर्द के लिए जाँच
दर्द की गंभीरता को देखते हुए आपके डॉक्टर यह सुनिश्चित करेंगे कि किस प्रकार की जाँच की आवश्यकता है
खून की जाँच, एक्सरे , MRI , और हड्डी का घनत्व अथवा डेनसिटी देखने के लिए बोन डेनसिटी जाँच की आवश्यकता पड़ सकती है
कमर दर्द का इलाज
हल्की दर्द की दवाई , कमर की बेल्ट , फिजियोथैरेपी और थोड़ा आराम करने से कमर के दर्द में जल्द ही राहत मिल सकती है
यदि बोन डेनसिटी में कमी है तो उसके लिए भी विशेष प्रकार की दवाई साथ में शुरू कर देनी चाहिए और कैल्शियम और विटामिन D की अगर ज़रूरत हो तो उसको लेने से भी अच्छा लाभ मिल सकता है
यदि कमर का दर्द किसी गंभीर कारण से हैं जैसे की कोई इन्फेक्शन या TB इत्यादि , तो उसके लिए विशेष प्रकार की दवाई शुरू करने की आवश्यकता हो सकती है कई बार, यदि दवाइयों से आराम न आए , या रीढ़ की हड्डी बीमारी के कारण गल जाए , तो गली हड्डी को निकालने के लिए और हड्डियों को आपस में जोड़ने के लिए ऑपरेशन की आवश्यकता पड़ सकती है इसी प्रकार ऑस्टियोपोरोसिस के कारण पिचकी हुई रीढ़ की हड्डी को सुदृढ़ करने के लिए उसमें विशेष प्रकार का सीमेंट डालने की आवश्यकता पड़ सकती है जिसे काईफोपलासटी कहते हैं
बहरहाल , कमर का दर्द जिस कारण भी हो उसका इलाज करना संभव है और व्यक्ति को घबराना नहीं चाहिए । इलाज के बाद व्यक्ति जल्दी ही पहले की तरह चलने में समर्थ हो सकते हैं
कमर दर्द से बचाव
इलाज से भी ज़्यादा ज़रूरी है कमर दर्द से बचना
अपने शरीर की मुद्रा अथवा पोशचर का ध्यान रखें।
- वज़न न बढ़ने दें।
- झुक कर ज़मीन से वज़न न उठाएँ।
- एक जगह पर ज़्यादा देर न बैठें।
- लगातार लंबा सफ़र न करें।
- ५० साल की उम्र के बाद अपनी बोन डेनसिटी अथवा हड्डी के घनत्व की जाँच करवा लें। यदि बोन डेनसिटी में कमी है तो उसका इलाज करें जो काफ़ी सरल है।
- यदि कैल्शियम और विटामिन D की कमी है तो उसकी पूर्ति करें ।
- प्रतिदिन सैर अवश्य करें ।
- प्रतिदिन हल्के व्यायाम एवं योग आसन ज़रूर करें ।
यह सब करने से आपकी मांसपेशियाँ सुदृढ़ रहेंगी और वह पिलर की तरह आपकी रीढ़ की हड्डी को सुरक्षित रखेंगी और आप कमर दर्द से बच पाएंगे
डॉ। यश गुलाटी से सलाह लेने के लिए यहां क्लिक करें