चेन्नई में रीढ़ की हड्डी की सर्जरी
हमारे चिकित्सक रीढ़ की न्यूनतम इंवेसिव सर्जरी के लिए दुनिया भर में जाने जाते हैं।
भारत की सर्वोत्तम टीम में से एक अपोलो हॉस्पिटल चेन्नई के रीढ़ की हड्डी के सर्जरी केंद्र में प्रशासनिक तौर पर मौजूद है। इस केंद्र ने कई उपलब्धियां हासिल की हैं जैसे भारत में पहला लम्बर डिस्क रीप्लेसमेंट यहीं हुआ था।
दक्षिण भारत का पहला ExcelsiusGPS® स्पाइन रोबोट चेन्नई के अपोलो हॉस्पिटल द्वारा लांच किया गया था। ExcelsiusGPS® स्पाइन रोबोट सुरक्षा के साथ रोगी के लिए सटीक नतीजों को बढ़ावा देता है। ExcelsiusGPS® के दृड़ रोबोटिक आर्म और पूर्ण नैविगेशन की क्षमता के साथ इमप्लांट को विधिपूर्वक करने के लिए उपयुक्त प्लेटफॉर्म प्रदान करता है। इस रोबोट के इस्तेमाल से अपोलो हॉस्पिटल के शल्य चिकित्सकों ने तमाम सर्जरी की हैं। इस क्रांतिकारी तकनीक ने शल्य चिकित्सकों को अपने दृष्टिकोण को पूर्व निर्धारण करने की क्षमता दी है और पेडिकल स्क्रू को सुरक्षित और सटीक तरीके से लगाने में खासा मदद की है।
उपचार
स्पोंडिलोसिस
डीजेनेरेटिव डिस्क डिसीज (डीडीडी) या स्पोंडिलोसिस रीढ़ के बीच में डिस्क का धीमा क्षय है। आम तौर पर इसको सर्जरी की आवश्यकता नहीं पड़ती है। इसका उपचार एंटी इंफ्लेमेट्री दवाइयों, फीजिओथेरेपी या व्यायाम द्वारा किया जा सकता है। सर्जरी की आवश्यकता तब पड़ती है जब इसके लक्षण रोजमर्रा के जीवन को प्रभावित करने लगते हैं और छह महीनों तक के लगातार गैर सर्जिकल उपचार से लाभ न मिल रहा हो।
स्लिप्ड डिस्क
डिस्क के बाहरी हिस्से के कमजोर होने के कारण जब डिस्क का भीतरी हिस्सा फूलकर बाहर आ जाता है तो उसे प्रोलैपस्ड डिस्क कहते हैं।
उपचार में शामिल है:
कीहोल सर्जरी – इसे माइक्रोडिस्केक्टॉमी स्पाइन सर्जरी भी कहते हैं। इसे उस स्थिति में किया जाता है जब लम्बर (रीढ़ का निचला हिस्सा) किसी नस को दबा रहा हो।
डिस्क रीप्लेसमेंट – सामान्य डिस्क की तरह काम करने जैसी एक कृतिम डिस्क का इमप्लांट किया जाता है। ये भार को सहने के साथ ही संचालन में मददगार होता है।
स्कॉलिओसिस
सामान्य तौर पर रीढ़ की हड्डी सामने से देखने में सीधी लगती है लेकिन बगल से देखने में घुमावदार दिखती है। लेकिन अगर ये सामने से दखने में घुमावदार हो तो इसे स्कॉलिओसिस कहते हैं। कायफोसिस यानि कुब्जता में रीढ़ असामान्य तरीके से आगे को झुकी होती है। अगर ये घुमाव अधिक होता है तो इसे ठीक करने के लिए सर्जरी का सहारा लिया जाता है। सर्जरी का उद्देश्य रीढ़ को संतुलन में लाना होता है। इसमें सिर, कंधे और धड़ को पेल्विस पर सीधा केंद्रित किया जाता है। उपकरणों का इस्तेमाल भी किया जाता है जिससे भविष्य में रीढ़ में घुमाव न आ सके।
रीढ़ का ट्यूमर
अपोलो हॉस्पिटल चेन्नई में रीढ़ के शल्य चिकित्सक आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर ट्यूमर या संवेदनशील चोटों तक पहुंचकर उपचार करते हैं जहां आसानी सेपहुंचना संभव नहीं होता। सर्जरी के दौरान उच्च क्षमता वाले माइक्रोस्कोप का इस्तेमाल किया जाता है। इंट्राड्यूरल ट्यूमर को भी हटाया जाता है। कुछ चुनिंदा रोगियों में टोटल स्पॉडीलेक्टॉमी रिमूवल पूरी रीढ़ की हड्डी में की जाती है।