चेन्नई में क्रिटिकल केयर सर्विसेज
अपोलो हॉस्पिटल, चेन्नई के क्रिटिकल केयर यूनिट्स में कई आधुनिक तकनीकों के माध्यम से सुनिश्चित किया जाता है कि गंभीर बीमारी का सामना कर रहे रोगी स्वस्थ हो सके।
गंभीर बीमारी से ग्रसित रोगी को बचाने के लिए क्रिटिकल केयर यूनिट्स को कुछ खास मेडिकल तकनीकों की जरूरत होती है ताकि वे गंभीर रूप से बीमार रोगी को पूर्ण स्वस्थ हो पाने का सबसे बेहतर मौका प्रदान कर सकें। क्रिटिकल केयर सर्विसेज को सूक्ष्म रूप संगठित करने की आवश्यकता होती है ताकि संक्रमण की दर, रहने की अवधि और मृत्यु दर से जुड़े अच्छे परिणाम मिल सकें।
सफल क्रिटिकल केयर प्रोग्राम के लिए जरूरी है कि नर्सों को ट्रेनिंग दी जाए ताकि वो गंभीर रोगी का ध्यान रख सकें, देखभाल करने की स्टैन्डर्ड प्रक्रिया को समझ सकें, आर्थिक और नैतिक मुद्दों को संभाल सकें। अपोलो हॉस्पिटल, चेन्नई को इस बात का गर्व है कि उसके पास बेहतरीन क्रिटिकल केयर सुविधाएँ है।
संक्रमण नियंत्रण
- बीमार व्यक्ति हेल्थ से जुड़े संक्रमणों की चपेट में जल्दी आ जाते हैं। इसकी वजह से रोगों की संख्या बढ़ती है और कई बार रोगी को लंबे समय तक हॉस्पिटल में भी रहना पड़ता है।
- हमारे पास संक्रमण नियंत्रण के लिए प्रोटोकॉल है। जिनमें बचाव के तरीके हैं और इन्हें संक्रमण कंट्रोल विशेषज्ञों और अनेस्थिटिस्ट ने बनाया है।
- इंटेन्सिव केयर यूनिट्स ऐसी जगह हैं, जहां छोटी गलती भी जान पर भारी पड़ सकती है।
- इंटेन्सिव केयर यूनिट्स में संक्रमण नियंत्रण पॉलिसी का लागू होना जरूरी है। रोगी को देखने के पहले और बाद में हाथ धोना, डिसपोजेबल ग्लव्स पहनना, साफ-सफाई का ध्यान रखना, रोगी द्वारा इस्तेमाल की हुई चीजों को डिसपोज करना और लोगों के कम आवागमन पर ध्यान देना इस पॉलिसी में शामिल किया जाता है।
- देखभाल के लिए एक चेकलिस्ट बनाई और लागू भी की जाती है। चेकलिस्ट के इस्तेमाल से रोगियों के हॉस्पिटल में रहने का औसत कम हुआ है और संक्रमण नियंत्रण बेहतर हुआ है।
क्लीनिकल हैंडओवर्स
क्रिटिकल केयर यूनिट्स में क्लीनिकल हैंडओवर यानि रोगी के इलाज की जानकारी देना थोड़ा कठिन होता है। लेकिन क्लीनिकल हैंडओवर का बेहतर प्रोटोकॉल रोगी की सुरक्षा बढ़ाता है । इससे देखभाल करने वाले बेहतर तरीके से चिंता के क्षेत्रों को पहचान पाते है।