Book Free Second Opinion From Top Specialists
    Banner showcasing colorectal surgery
    HomeCentres of Excellenceकोलोरेक्टल सर्जरी

    कोलोरेक्टल सर्जरी

    चेन्नई में कोलोरेक्टल सर्जरी

    देश के पहले कोलोरेक्टल सर्जरी सेंटर्स में से एक अपोलो हॉस्पिटल में है।

    इंस्टीट्यूट ऑफ कोलोरेक्टल सर्जरी

    खासतौर पर कोलन, रेक्टम और एनस से जुड़ी बीमारियों के इलाज के लिए देश में अभी भी कुछ ही सेंटर हैं। अपोलो हॉस्पिटल, चेन्नई का इंस्टीट्यूट ऑफ कोलोरेक्टल सर्जरी में एक ऐसा ही सेंटर है। इस इंस्टीट्यूट में प्रेक्टोलॉजी, पेल्विक फ्लोर डिसीजेज, लैप्रोस्कोपिक के अत्याधुनिक इलाज किए जाते हैं। यहां कोलोरेक्टल कैंसर के लिए रोबोटिक कोलोरेक्टल सर्जरी भी की जाती है।

    इस संस्थान में अंतरराष्ट्रीय प्रशिक्षण प्राप्त कोलोरेक्टल सर्जन इलाज मुहैया कराते हैं। कोलोरेक्टल सर्जन कोलन, रेक्टम और एनस से जुड़ी बीमारियों को सर्जिकल और नॉन-सर्जिकल ट्रीटमेंट से ठीक करते हैं। हमारे सर्जन जनरल सर्जिकल ट्रेनिंग के अलावा कोलोरेक्टल डिसीज से जुड़ी बीमारियों के इलाज के लिए एड्वान्सड सर्जिकल ट्रेनिंग से प्रशिक्षित हैं। ये इंस्टीट्यूट कोलन, रेक्टम और एनस से जुड़ी घातक और मामूली दोनों ही तरह की बीमारियों को ठीक करने में सक्षम है। इन बीमारियों का पता स्क्रीनिंग एक्सामिनेशन की मदद से लगाया जाता है। ज़रूरत पड़ने पर सर्जिकल ट्रीटमेंट भी किए जाते हैं।

    रोबोटिक रेक्टल सर्जरी के आ जाने के बाद से मामूली व कैंसर संबंधी रेक्टल बीमारियों के इलाज का तरीका पूरी तरह बदल गया है।

    खासियतें

    • कोलोरेक्टल बीमारियों के लिए बने प्रथम समर्पित संस्थानों में से एक।
    • अंतरराष्ट्रीय प्रशिक्षण प्राप्त कोलोरेक्टल सर्जन
    • अंग विशेष दृष्टिकोण और सुपर स्पेशलाइजेशन
    • कैंसर और मामूली दोनों तरह की बीमारियों का इलाज
    • एब्डोमिनल कोलोरेक्टल प्रोसिजर्स के लिए रोबोटिक और लैप्रोस्कोपिक सर्जरी को प्राथमिकता दी जाती हैं।
    • हर साल करीब 1200 कोलोरेक्टल प्रक्रिया होने के चलते ये सबसे व्यस्त सेंटर्स में से एक है

    कोलोरेक्टल के लक्षणों से बचें

    कोलन और रेक्टम

    कोलन और रेक्टम छोटी आंत से एनस तक एक ट्यूब-नुमा रास्ता है। कोलन की लंबाई करीब 5 से 6 फीट होती है। कोलन पानी सोखता है और पाचन के दौरान निकले बेकार पदार्थों को स्टोर भी करता है। ये स्टोरेज तब तक रहता है, जब तक बॉडी इस गंदगी को खाली करने के लिए तैयार न हो जाए। कोलन का आखिरी हिस्सा रेक्टम कहलाता है। स्फिंगक्टर मसल्स रेक्टम के निचले हिस्से में मिलती हैं। इनका काम रेक्टम को गलती से खाली होने से रोकना होता है। जब कोई मल त्याग करना चाहता है तो ये नसे रिलेक्स हो जाती हैं।

    कोलोरेक्टल लक्षण

    • रेक्टल ब्लीडिंग
    • एनल पेन
    • एनल लंप्स
    • खुजली
    • कब्ज
    • डायरिया
    • बलगम या पस स्त्राव
    • एब्डोमिनल पेन

    साधारण कोलोरेक्टल बीमारियां और लक्षण

    बवासीर: इसमें दर्दरहित रेक्टल ब्लीडिंग के साथ एनल लंप्स

    एनल फिशर: इसमें मल त्याग के समय दर्द के साथ खून भी आ सकता है

    एनल फिस्चुल: इसमें दर्द के साथ खून और पस भी आता है

    एनल ऐब्सेस: इसमें एनल के आसपास लंप दिखते हैं और बुखार भी आता है

    कोलाइटिस: इस स्थिति में दस्त के साथ बलगम और खून आता है

    कोलोन एवं रेक्टल कैंसर: इसमें रेक्टल से खून आ सकता है साथ में कब्ज, दस्त, खून की कमी और वजन कम होना भी इसके लक्षण हैं

    इन लक्षणों और बीमारी से ग्रस्त रोगी कोलोरेक्टल सर्जन को डायग्नोसिस और ट्रीटमेंट के लिए दिखा सकते हैं। विशेषज्ञ डॉक्टर लक्षणों के सही मायने में समझ कर सबसे अच्छे इलाज का सुझाव देंगे।

    कोलोरेक्टल स्क्रीनिंग

    कोलन और रेक्टम से जुड़ी बीमारियां मामूली भी हो सकती हैं और जीवन के लिए घातक भी। ऐसा कई रिसर्च में माना गया है कि समय रहते की गई जांच से गंभीर बीमारियों को बढ़ने से रोका जा सकता है।

    अपोलो इंस्टीट्यूट ऑफ रोबोटिक सर्जरी में एनोरेक्टल और मलाशय संबंधी बीमारियों के लिए लैप्रोस्कोपिक सर्जरी की जाती है। साथ में कोलोरेक्टल कैंसर के लिए रोबोटिक सर्जरी भी की जाती है।

    TelephoneCall Us Now+91 8069991000 Book ProHealth Book Appointment

    Request A Call Back

    Uploading in progress...
    No File Chosen
      Close